श्रीमद्भगवद्गीतेत एकूण ७०० श्लोक आहेत.
गीता अठरा अध्याय
।। ॐ श्रीपरमात्मने नमः ।।
अध्याय १
धृतराष्ट्र उवाच
अर्जुनविषाद योग
श्लोक ४७
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अध्याय २
सञ्जय उवाच
सांख्ययोग
श्लोक ७२
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अध्याय ३
अर्जुन उवाच
कर्मयोग
श्लोक ४३
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अध्याय ४
श्रीभगवानुवाच
ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
श्लोक ४२
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अध्याय ५
अर्जुन उवाच
कर्मसंन्यासयोग
श्लोक २९
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अध्याय ६
श्रीभगवानुवाच
आत्मसंयमयोग
श्लोक ४७
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अध्याय ७
श्रीभगवानुवाच
ज्ञानविज्ञानयोग
श्लोक ३०
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अध्याय ८
अर्जुन उवाच
अक्षरब्रह्मयोग
श्लोक २८
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अध्याय ९
श्रीभगवानुवाच
राजविद्याराजगुह्य योग
श्लोक ३४
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अध्याय १०
श्रीभगवानुवाच
विभूतियोग
श्लोक ४२
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अध्याय ११
अर्जुन उवाच
विश्वरूपदर्शन योग
श्लोक ५५
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अध्याय १२
अर्जुन उवाच
भक्तियोग
श्लोक २०
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अध्याय १३
श्रीभगवानुवाच
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभाग योग
श्लोक ३४
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अध्याय १४
श्रीभगवानुवाच
गुणत्रयविभाग योग
श्लोक २७
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अध्याय १५
श्रीभगवानुवाच
पुरुषोत्तमयोग
श्लोक २०
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अध्याय १६
श्रीभगवानुवाच
दैवासुरसम्पद्विभागयोग
श्लोक २४
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अध्याय १७
अर्जुन उवाच
श्रद्धात्रयविभागयोग
श्लोक २८
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अध्याय १८
अर्जुन उवाच
मोक्षसन्न्यासयोग
श्लोक ७८
ॐ♤ॐ♤ॐ♤ॐ♤ॐ♤♤ॐ♤ॐॐ♤ॐ♤
।।अध्याय समाप्ती सूचक।।
ॐ तत्सदिति श्रीमहाभारते शतसाहस्त्र्यां( व् )
संहितायां ( व् )
वैयासिक्यां ( म् )
भीष्मपर्वणि श्रीमद्भगवद्गीतासु उपनिषत्सु
ब्रह्मविद्यायां (य् ) योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुन संवादे - - - - -
नाम - - - - - - ध्यायः ।
हरये नमः ।
श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।
श्रीरस्तु ।
शुभंभवतु ।